यूपी: TET अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट में नई पुनर्विचार याचिका, लाखों शिक्षक प्रभावित

उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती को लेकर फिर से एक बड़ा सामने आया है। UP TET अनिवार्यता (Teacher Eligibility Test) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी गयी है। इस फैसले का सीधा असर राज्य के लगभग दो लाख शिक्षकों पर पड़ रहा है। जिससे लोगो में यह बहुत चर्चा का कारण बना हुआ है।

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क्या है मामला?

टीईटी पास करना शिक्षक भर्ती के लिए अब कम्पलसरी कर दिया गया है। क्योंकि कई ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने बीटीसी (BTC), बीएड (B.Ed.) या डीएलएड (D.El.Ed.) जैसी शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षाएं पास की हैं लेकिन टीईटी पास नहीं किया। अब इन उम्मीदवारों का भविष्य बीच में फंस गया गया है। इसी वजह से प्रभावित शिक्षकों और अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ रुख किये है।

पुनर्विचार याचिका क्यों?

पहले सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि शिक्षक बनने के लिए टीईटी अनिवार्य है। लेकिन अब प्रभावित अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने पहले ही शिक्षक प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और उनके पास पर्याप्त योग्यता है। ऐसे में टीईटी अनिवार्य करना उनके साथ अन्याय है। इसी आधार पर दोबारा पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। जिससे उनको बहुत उम्मीद है।

UP TET अनिवार्यता

टीईटी के विरोध में राजनाथ सिंह को सौंपा ज्ञापन

 टीईटी के विरोध में उत्तर प्रदेश प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने बुधवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को ज्ञापन सौंपा। संघ प्रतिनिधियों ने मांग करते हुए कहा कि जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टेट परीक्षा से छूट दिलाने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए। इसके लिए सरकार भी सामाधान निकाले। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष सुधांशु मोहन, जिला मंत्री वीरेंद्र सिंह, जिला कोषाध्यक्ष फहीम बेग, नगर अध्यक्ष संदीप सिंह मौजूद रहे।

सरकार और अदालत की भूमिका

राज्य सरकार का मानना है कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए टीईटी जरुरी है। वहीं, इससे प्रभावित शिक्षक यह कह रहे हैं कि उनकी योग्यता और अनुभव को नजरअंदाज करना उचित नहीं। अब सबकी उम्मीदे सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुयी हैं। जो होगा उसी के हिसाब से होगा।

निष्कर्ष (Conclusion)

यूपी में टीईटी अनिवार्यता का मुद्दा लाखों युवाओं के भविष्य का मामला है। नई पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह तय करेगा कि शिक्षकों की चयन प्रक्रिया आसान होगी या और सख्त। फिलहाल, प्रभावित अभ्यर्थी कोर्ट से राहत की उम्मीद में बैठे हैं। जो फैसला होगा उसपे ही उनका अगला कदम निर्भर होगा।

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