DU के Ramanujan College के प्राचार्य निलंबित, उत्पीड़न के आरोपों से मचा बवाल

रामानुजन कॉलेज (Delhi University) के प्राचार्य को कुछ आरोपों की जांच के चलते निलंबित किया गया है। प्राचार्य के ऊपर आरोप हैं कि कॉलेज में उनके द्वारा एक फैकल्टी सदस्य के प्रति उत्पीड़न और होस्टिल व्यवहार किया गया। प्राचार्य ने इन आरोपों को “फर्जी, राजनीतिक प्रेरित” बताया और कहा है कि ये शिकायत उस समय की गई जब उसी फैकल्टी में एक प्रमोशन नहीं मिला था।

आरोपों की जांच

शिकायत के बाद एक तीन सदस्यीय कमिटी गठित की गई जिसने आरोपों की प्रारंभिक जाँच पड़ताल की। कमिटी और कॉलेज की गर्वनिंग सदस्यों ने पाया कि शिकायतों में “कुछ पुख्ता आधार” हैं, इसलिए प्राचार्य को अंतरिम रूप से निलंबित किया गया है, ताकि जांच निष्पक्ष तरीके से हो सके। विश्वविद्यालय उपकुलपति ने भी पुष्टि की है कि इस प्रक्रिया में नियमों का पालन किया गया है। अब यह मामला आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के पास जाएगा ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सके।

DU के Ramanujan College के प्राचार्य निलंबित

प्राचार्य की प्रतिक्रिया

Delhi University के प्राचार्य ने कहा है कि ये आरोप “मनोवैज्ञानिक, पेशेवर और भावनात्मक रूप से” उन पर गहरा असर डाल रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि शिकायत राजनीतिक प्रेरित है और प्रमोशन न मिलने के बाद उन पर दबाव बनाने के लिए ये सब किया गया। ताकि उन्हें इस प्रकार के मामलों में फँसाया जा सके।

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प्रक्रियाएँ और नियम

  • शिकायत आंतरिक शिकायत समिति (ICC) को नहीं भेजी गई थी, जैसा कि UGC नियम और PoSH कानून (Prevention of Sexual Harassment Act) में तय है। शिकायत सीधे गर्वनिंग बॉडी और विश्वविद्यालय उपकुलपति को की गई थी।
  • निलंबन सिर्फ अंतरिम कदम है — यानी प्राचार्य की स्थिति और प्रतिष्ठा बचाने के उद्देश्य से, ताकि यह जांच निष्पक्ष हो सके।

संभावित प्रभाव

  • दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों और फैकल्टी सदस्यों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
  • कॉलेज की प्रतिष्ठा और प्रशासन पर सवाल उठे हैं क्योंकि ऐसे मामलों से विश्वास प्रभावित होता है।
  • यदि जांच मे आरोप सिद्ध होते हैं, तो प्राचार्य को स्थायी पद से हटाया या अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

निष्कर्ष

रामानुजन कॉलेज के प्राचार्य के निलंबन का मामला शिक्षा संस्थानों में जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह कदम बताता है कि शिक्षण संस्थाएँ सिर्फ शिक्षण से नहीं बल्कि नैतिक और कानूनी मानदंडों के पालन से भी जिम्मेदार होती हैं। आसा है जल्द ही इसका निर्णय सामने आएगा।

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